Thursday, March 24, 2011

त्रिवेणी

ज़रा सा जाग लूँ कि मैं जी लूँ 
नींद का क्या है मौत जैसी है 
नींद आये कि जैसे मौत आये 

Saturday, March 12, 2011

प्रभात खबर 12 मार्च, नदीम हसनैन का इंटरव्यू


तेरी तस्वीर

अलसुबह तेरी तस्वीर
शर्ट की जेब में रखकर,
भूल गया था मैं
और दिन भर ये सोचता रहा
कि चुपके-चुपके कौन
खेलता रहा मेरी धड़कनों से,
हौले-हौले कौन
गुदगुदी करता रहा मेरे सीने में
और दिन भर कौन
अपनी मासूम हरकतों से
परेशान करता रहा मुझको


अजब दिल्लगी है!
परेशान होकर भी
डांट नहीं सकता तेरी तस्वीर को
डर लगता है
कहीं तुम रो न पड़ो
और तुम्हारे आंसुओं से
शर्ट के भीतर छुपा मेरा मासूम दिल
बेवजह, भीग जाये कहीं